भजन सागर – सभी को एक ना एक दिन मरना है चाहें वो – साधु या असाधु, धनी या दरिद्र – सभी को मरना है लेकिन चिर काल तक किसी का शरीर नहीं रहेगा। अतएव उठो, जागो और संपूर्ण रूप से निष्कपट हो जाओ। भारत में घोर कपट रम गया है। चाहे चरित्र और चाहे इस तरह की दृढ़ता और चरित्र का बल, जिससे मनुष्य आजीवन दृढ़व्रत बनाया जा सके।
भजन सागर – बडे-बडे दिग्गज बह जायेंगे। छोटे – मोटे की तो बात ही क्या है! तुम लोग कमर कसकर कार्य में जुट जाओ जिससे, हुंकार मात्र से हम दुनिया को पलट देंगे। और अभी तो मात्र सुरुबात ही है। किसी के साथ विवाद न कर हिल-मिलकर अग्रसर हो – यह दुनिया भयानक है, किसी पर किसी को विश्वास नहीं है। डरने का कोई कारण नहीं है, माँ मेरे साथ हैं – इस बार ऐसे कार्य होंगे कि तुम चकित हो जाओगे। भय किस बात का? किसका भय? वज्र जैसा हृदय बनाकर कार्य में लग जाओ।
भजन सागर – मन का विकास करो और उसका संयम रखो, उसके बाद जहाँ भी इच्छा हो, वहाँ इसका प्रयोग करते रहो जिससे – उससे अति शीघ्र फल की प्राप्ति होगी। यह यथार्थ आत्मोन्नति का उपाय। एकाग्रता सीखो, और जिस तरफ इच्छा हो, उसका उपयोग करो। ऐसा करने पर आपको कुछ खोना नहीं पड़ेगा। जो समस्त को प्राप्त करता है, वह अंश को भी प्राप्त कर सकता है।
भजन सागर – हमारी नैतिक प्रकृति जितनी उन्नत होती है, उतना ही उच्च हमारा प्रत्यक्ष अनुभव होता है, और उतनी ही हमारी इच्छा शक्ति अधिक बलबान होती जाती है।
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