“जय श्री कृष्णा” कैसे बिका जाता है प्रेम मे गोपी बोली कि तुम हमे ऐसे नाचते हो जैसे कि हमे खरीद लिया है.जब चाहो नचाते हो. प्रेम में सौदा कब होता है ? “जब पहले बिकता है खरीदने बाला”. कृष्ण को खरीदना चाहते हो तो पहले बिकना सीखो .अपना सब कुछ कृष्ण कोदेना सीखो. तुम बिक जायोगे तो कृष्ण को खरीद लोगे.
ऐसे है श्री कृष्ण कि वो अपने आप को भी बेच देते है भक्त्त के हाथो फिर भक्त को खरीदते है. सुखदेव जी लिखते है कि श्री कृष्ण गोपियों के हाथो ऐसे बिके के कठपुतली की तरह जैसे गोपिया नचाती थी वैसे ही नाचते थे. बिकना सीखो. हम बिक जाए ये ही प्रेम है. अभी तो हमे स्त्री ने खरीदा है, बेटे ने ख़रीदा है, रोग ने खरीदा है,
भोग ने खरीदा है. कैसे बिका जाता है प्रेम में कैसे बिका जाता है प्रेम में ये समझो. हमारे ह्रदय में श्री कृष्ण के सिवा कोई नहीं आवे. सब की याद हटा दो. सब को याद करने से हम कमजोर बनते है. किसी का बच्चा बीमार है, तो याद करने से क्या होगा ?क्या ठीक हो जायेगा ? नहीं. अपने ह्रदय में श्री कृष्ण को बैठा लो. जब श्री कृष्ण हमारे ह्रदय में आवेंगे तो सब मंगल हो जायेगा. भगवान जहाँ भी आते है वही मगल हो जाता है. पर हम भगवान में मन लगाते नहीं, दुसरो का चिंतन करते रहते है.मन में मेरा, बुद्वि में अहंकार आ जाते है.यदि बिकना है तो ये सोच लो कि हम अब दुनिया में किसी की भी याद नहीं करेंगे. एक मात्र श्री कृष्ण ही सच्च है बाकि सब झूठ है.
जटायु ने अपना सब कुछ सीता जी को बचाने में – अपने प्राण तक चढा दिए. ये होता है बिकना. फिर प्रभु ने अपनी गोद में उन्हें उठाया. हम भी बिक सकते है अगर हमारी सब क्रिया प्रभु के लिए हो जाए. तुम्हारा बात करना भी भजन हो जाए कि बात करेंगे तो प्रभु की करेंगे. तुम्हारा भोजन करना भी प्रभु के लिए हो जाए कि भोजन करेंगे तांकि शरीर से प्रभु का भजन करेंगे. हर क्रिया भजन हो जाए. ऐसा करते-करते एक दिन किसी से बात करते समय भी ये लगेगा कि कृष्ण से बात कर रहे है. हम ये भूल जायेंगे कि ये स्त्री है या ये गोरी है. बस ये ही याद रहेगा की भगवान से ही बात कर रहे है.
~~~जय जय श्री राधे~~~