आजकल की लाइफस्टाइल को देखते हैं कि लोगों का समय भारी व्यस्तता में बीत रहा है। सब लोग धन कमाने के चकर मै जुटे हैं तो कुछ लोग कमाया हुआ धन खर्च करने में लगे हैं। जिनके पास खूब धन आ गया यदि वो भी अशांत होंगे और जिनका धन खर्च हो गया है वो भी शांत नहीं होंगे तो सब कुछ व्यर्थ है। इसलिये हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि आखिर हमने बचाया क्या है और क्या हम कमा रहे हैं ?
सुख के साथ शांति भी होनी चाहिए
हमारी बचत सुख के साथ शांति होना चाहिए। जिससे जब हम कार्यों में लगातार सफल होने के लिए भागते रहते हैं तो दिमाग का संतुलन बिगड़ जाता है और व्यक्तित्व में भी बेचैनी आ जाती है। और अत्यधिक मेहनत करने के बाद थोड़ा रुक जाना चाहिए और शांत हो जाना चाहिए। जिससे बेचैनी नहीं होगी और सुख के साथ शांति भी मिलेगी।
इस बेचैनी को दूर करने के लिए ये तरीका अपनाएं- जो होना था, वह हो गया, अब जो हो रहा है, वह भी होता रहेगा। बस खुद को इन चीजों से दूर कर लेना चाहिए। सभी रुकावट को खुद ही खत्म कर दें। मैंने किया, मैं कर दूंगा, इन बातों से ही अशांति शुरू होती है। हमारा अहं ही हमें अशांत करता है।