तीर्थ यात्रा पूजा एवं तीर्थ स्नान यह सब मन की खुशी के लिए होते है तीर्थो पर जाना केवल अपने पापोँ का प्रायश्चित कर सकते है यही धारणां लेकर तीर्थ यात्रा करते है क्या आप समझते है ऐसा करने से मनुष्य के पापोँ का बोझ हल्का हो जाता है नही जिस तरह शराद का पात्र जल दिए जाने पर भी शुद्ध नही माना जाता वैसे ही तीर्थ स्थान पर जाकर वहाँ स्नान करने से कभी पाप नही धुलते
