इन दिनों लोगों का समय भारी व्यस्तता में बीत रहा है। जिससे कुछ लोग धन कमाने में जुटे हैं तो कुछ लोग कमाया हुआ धन खर्च करने में लगे हैं। अब जिनके पास खूब धन आ गया यदि वो भी अशांत होंगे और जिनका धन खर्च हो गया है वो भी शांत नहीं होंगे तो सब कुछ व्यर्थ है। हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि आखिर हमने बचाया क्या है और क्या हम कमा रहे हैं बास्तब मै सही बात तो यह है की हर दिन हम अपनी लाइफ को खोते हैं जो कही न कही हमारी लाइफ को हैंपर करता है?
लगातार भागते रहने से बिगड़ सकता है दिमाग का संतुलन
हमारी बचत सुख के साथ शांति होना चाहिए। जब हम कार्यों में लगातार सफल होने के लिए भागते रहते हैं तो दिमाग का संतुलन बिगड़ जाता है और व्यक्तित्व में भी बेचैनी आ जाती है। इसलिए खूब मेहनत करने के बाद थोड़ा रुक जाना चाहिए और शांत हो जाना चाहिए। इससे बेचैनी नहीं होगी और सुख के साथ शांति भी मिलेगी।
बेचैनी दूर करने के लिए ये तरीका अपनाएं- जो होना था, वह हो गया, अब जो हो रहा है, वह भी होता रहेगा। बस खुद को इन सभी चीजों से दूर कर लेना चाहिए। सभी रुकावट को खुद ही खत्म कर दें। मैंने किया, मैं कर दूंगा, इन बातों से ही अशांति शुरू होती है। हमारा अहं ही हमें अशांत करता है। जो की हमारी लाइफ को खत्म करता है इसलिए कभी हमे अहंकार नहीं करता चाहिए
इस प्रकार समज सकते हैं कि अपने आप को कैसे रोक सकते हैं
एक दिन एक कुत्ता पानी में झांक रहा था। पानी में उसे अपनी ही परछाई दिखी तो भोंकने लगा। जाहिर है कि परछाई भोंक रही थी और कुत्ता समझ रहा था सामने वाला मुझ पर भोंक रहा है। वह डरा भी और गुस्से में भी आया। पानी में अपनी ही परछाई पर कूद गया। बस, परछाई गायब हो गई। ठीक इसी तरह हम भी अपनी ही छाया से झगड़ते हैं। एक बार अहं यानी मैं का भाव छोड़ देंगे तो परछाई मिट जाएगी, मन शांत हो जाएगा। और हमारा जीवन सुखी बयतीत होने लगेगा