जो लोग ईश्वर पर विश्वास बनाए रखते हैं उन्हें तीन फल मिलते हैं सिद्धि, स्वर्ग और मुक्ति। लेकिन इसके लिए इन तीन फलों की सही पहचान करने की आवश्यकता होती है।
सिद्धि
सिद्धि का तात्पर्य है प्रतिभावान व्यक्तित्व और उसके आधार पर काम करना है। सिद्धि से कई भौतिक सफलताएं भी मिलती हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि सफलता को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए गुण, कर्म, स्वभाव में श्रेष्ठ रहना आवश्यक ही है। इसलिए अच्छी प्रवृति अपनाने के लिए श्रेष्ठ चिंतन और आदर्श कर्म अपनाने ही पड़ते हैं।
स्वर्ग
स्वर्ग का तात्पर्य है जो मनुष्य श्रेष्ठ ज्ञान ग्रहण करने की क्षमता पा लेता है। और जिस व्यक्ति के पास श्रेष्ठ ज्ञान होता है, वह कभी भी अभाव ग्रस्त और दरिद्र नहीं हो सकता है, क्योंकि मनुष्य जीवन अपने आप में इतना परिपूर्ण होता है कि संसार की किसी भी वस्तु से इसकी तुलना की नहीं जा सकती है। इसका कारण है की जब ये सोच विकसित हो जाती है तो व्यक्ति स्वर्ग के समान सुख प्राप्त करता है।
मुक्ति
मुक्ति का तात्पर्य जो हम समझते हैं, वह है भवबंधन से मुक्त होना, लेकिन मुक्ति का सही अर्थ यह है कि अपनी बुरी आदतों, गलत मान्यताओं, विकृत आकांक्षाओं से मुक्त होना है। लेकिन ये मुक्ति हमें आस्तिकता से ही मिलती है और हम अपनी जिंदगी का उल्लासपूर्वक आनंद उठाए उसी का नाम मुक्ति है ।